मीरा के पद Feb 10 2019 Source: Bhagayshree 0 Summary InformationKeywords:मेरे तो गिरधर गोपाल दुसरा न कोई --------------------------------------------मीरा के प्रभु गिरिधरनागर ,बेग मिलो अविनासी रे.।Workplace Skills: DiscussionEstimated Time Required:less than 1 hourTarget Grade (Ages):Grade 10 (Ages 15-16)Diversity Indicators:कक्षा: 10 Tab WrapperLESSONGoals and PrerequisitesGoals:अहिन्दी भाषी विद्यार्थी हिन्दी भाषा में ज्ञान प्राप्त करें ।अहिन्दी भाषी विद्यार्थी हिन्दी भाषा में समज प्राप्त करें ।अहिन्दी भाषी विद्यार्थी हिन्दी भाषा में साहित्य के प्रति अभिरुचि विकसावे ।अहिन्दी भाषी विद्यार्थी भाषा में अर्थ ग्रहण करें।अहिन्दी भाषी विद्यार्थी हिन्दी भाषा में अपेक्षित कौशल्य प्राप्त करें ।Prerequisites:मीराबाई के बारे में जानकारी होनी चाहिये Instructional Objective(s)विधार्थीयो शिक्षक का अभिवादन करे.विधार्थीयो पूर्व ज्ञान को याद करे.विधार्थीयो पूर्व ज्ञान को नये ज्ञान.के साथ जोडे.विधार्थीयो शुद्ध हिन्दी उचारण को जाने.विद्यार्थी लेखक परिचय की जानकारी प्राप्त करेंगे । विद्यार्थी शुद्ध उच्चारण से परिचित होंगे । विद्यार्थी आदर्श पठन की क्षमता प्राप्त करेंगे । Instructional ResourcesBackground: meera-bhajan.jpg Materials: रंगीन चॉक डस्टर कवि की तस्वीरे Procedure:विद्यार्थी शिक्षक का अभिवादन करेंगे.विद्यार्थी पूर्व ज्ञान को याद करेंगे.विद्यार्थी पूर्व ज्ञान को नए ज्ञान के साथ जोड़ेंगे.विद्यार्थी विषाभि मुख होंगे. विद्यार्थी शुद्ध हिंदी का उच्चारण जानेंगे. विद्यार्थी शुद्ध हिंदी में बोलेंगे. विद्यार्थी नवागत शब्द के अर्थ बोलेगे. विद्यार्थी बेहिचक हिंदी भाषा में उत्तर देंगे.विद्यार्थी शब्द समूह के लिए एक शब्द बोलेंगे.विद्यार्थी पूर्ण वाक्य में उत्तर देंगे. Extensionsमीराबाई का जीवन परिचय लिखो। Assessments and Rubricsमेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई।दूसरा ना कोई साधु सकल लोक जोई।। भाई छोडया बंधु छोडया सगा न होई।साधु संगत बैठी बैठी लोक लाज खोई।।भगत देखी राजी हुई जगत देखि रोई।अँसुवन जेल सीचं सीचं प्रेमबेलि बोई।।दधि मथि धृत काढि लियो डार दई छोई। राणा विष को त्यालो भेजयो पीय मगन होई।।अब तो बात फैल गई जाणे सब कोई।मीरा राम लगन लागी होणी होई सो होई।। अर्थ:- मीरा बाई कहती है कि जिसने गिरी पर्वत को उठा लिया था। वही श्री कृष्ण मेरे जीवन के एकमात्र आधार है। हे महानुभावों मैंने सारा संसार छान मारा, श्री कृष्ण की अतिरिक्त मेरा दूसरा कोई नहीं है। वे कहती है कि भगवान श्री कृष्ण के लिए मैंने अपने भाई बंधु तथा सभी सगे रिश्तेदार को छोड़ दिया है और साधु-संतों के पास बैठ बैठ कर लोक लाज को दी है सांसारिक व्यक्तियों को देखकर मुझे रोना आता है और भगवान के भक्तों को देखकर मुझे आनंद आता है गिरिधर गोपाल के विहर में निरंतर बहते हुए आंसू के जल से मैंने इस प्रेम रूपी लता को रोपा है और सिचा है वे कहती है कि जैसे दही को मत कर घी निकालने के बाद मथनी को एक और रख दिया जाता है वैसे ही मैंने इस भवसागर को मंथन कर श्री कृष्ण के प्रेम रूपी सारे तत्व को एकत्र कर दिया है। और सांसारिक को किनारे रख दिया है मीरा बाई कहती है कि राणा ने जहर का प्याला भेजा था पर मैंने से खुशी-खुशी पीलिया हैै वेकहती है कि अब तो बात चारों ओर फैल चुकी इस बात की सबको जानकारी हो गई है मीराबाई कहती है कि भगवान से उनकी लगन लग गई है जो होना होगा, वही होगा। External Resourceshttps://hindividya.com/mirabai-poems CreditsDr.SanjaySir C. Thaker RESOURCES Original Resources Click the button above to add resource materials for this lesson. Contributed ResourcesContribute a Resource Click the button above if you would like to contribute a resource to this lesson. STANDARDS/CURRICULUM Add Standards/Curriculum Territory - Any - Select any filter and click on Apply to see results Your Rating: 0 No votes yet